मोदी जी लोगों की मन की बात सुनना-समझना और तह तक जाकर बहुत कुछ करना होगा

*भारत की सरहद से भागे चीन का कहीं ये खूनी खेल तो नहीं?* 


 *मोदी जी! चीन की जीन उतारकर नंगा करना ही होगा कब तक हम देखेंगे लाशों के ढेर और झेलेंगे लॉकडाउन* 


 *कारण का निवारण ढूंढना ही होगा* 



नई दिल्ली, जहां जीवन है वहां मरण भी। लाभ-हानि-जीवन-मरण-यश-अपयश विधि हाँथ। एक ओर हमको मानना चाहिए कि यह सब बढ़ती आबादी से धरती का बोझ बढ़ रहा है कहीं कुदरत का यह करिश्मा तो नहीं कि धरती का बोझ कम करने के लिए प्रकृति करवट बदल रही हो? क्योंकि इन्दिरा गांधी का वह नसबंदी अभियान दूरदर्शी था परंतु उन्हें पदाच्युत सत्ता से होना पड़ा। तब से अब तक भारत का कोई प्रधानमंत्री जुर्रत नहीं जुटा सका कि वो बढ़ती आबादी पर प्रभावी अंकुश लगा सके। मोदी हैं तो मुमकिन है देशहित में एक कड़ा कानून बनाकर मोदी जी अपनी पुंसुकता का परिचय दें कि बढ़ती आबादी जो समस्त समस्याओं की जननी है उस पर पूर्ण अंकुश लग सके।
        कोरोना प्राकृतिक नहीं कृत्रिम बताया जाता है जिसका बाप चीन है? वैसे तो विश्व के काफी देशों ने अपने अपने पास जैविक हथियारों का जखीरा जमा कर लिया है- इसमें विश्व संधि है कि कोई प्रयोग नहीं करेगा। परंतु दानवता की दहलीज पर खड़े होकर चीन ने बुहान लैब से इस वायरस का प्रसारण किया काफी कुछ अपने लोगों को भी मारा ताकि विश्व को संदेह न हो फिर दुश्मन मानने वाले अमेरिका और उसके सहयोगी देशों में इस वायरस को जमकर सर्कुलेट किया- अमेरिका में तो लाखों लोग मर गये और सारे विश्व में इसके मित्र नार्थ कोरिया में विशेष असर नहीं हुआ। अर्थात विश्व दादा बनने के लिए चीन ने यह चतुर चाल चली कि सांप मरे ना लाठी टूटे, युद्ध भी ना हो और मन्सूबा सफल हो जाए। जब तक ट्रंप इसे जाबेजा कहते रहे तब तक वायरस सर्कुलेट करने का इसका तरीका और बढ़ता गया-भारत को भी आहत किया। वाइडन जब अमेरिकी राष्ट्रपति बने तब से अब तक वहां कोरोना का कहर नहीं हुआ- इटली भी इठला रही है। विस्तार वादी नीति वाला चीन भारत का बड़ा भूभाग अपने कब्जे में लेना चाहता था, बॉर्डर पर भारी फौज और युद्ध के सारे हथियार जमा किए-चीन बंदरों की तरह भारत को डराता रहा- घुड़की देता रहा परन्तु राजनाथ सिंह शेरे बब्बर और अडिग अमित शाह तथा 56 इंची सीना वाले मोदी ने भी मन बना लिया कि इस डरपोक चीन को सरहद से इसकी हद तक घुसकर मारेंगे। बनिया देश सावधान हो गया और कदम पीछे कर लिया परन्तु मोदी मन ही मन सजग हैं कि चीन की हर हिमाकत का माकूल जवाब दिया जायेगा।
   जब सीमा पर चीन की जीन उतर गई तो भले ही इसे लोग हास्यास्पद  माने परन्तु संदेह कुछ लोग कर रहे हैं कि इसने अपने वैज्ञानिकों के द्वारा वायरस को और ताकतवर बनाकर भारत में सर्कुलेट कराया या प्लांट कराया? देश की राजधानी दिल्ली में, देश की आर्थिक नगरी मुम्बई में, उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में ऐसा प्रतीत होता है कि वायरस को और तन्दरुस्त बनाकर प्लांट किया ताकि देश बर्बाद हो जाये अन्यथा कोरोना को लखनऊ-दिल्ली-मुंबई आदि महत्वपूर्ण शहरों का क्या पता? मोदी जी यद्यपि इसे बहुत लोग मानने को तैयार नहीं फिर भी इस संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता। अपने भारत के वैज्ञानिकों को इसकी टोह गहराई और बारीकी से लेने का संकल्प दो। डब्ल्यू०एच०ओ० की टीम ने जब चीन का दौरा किया तो बुहान की लैब क्यों नहीं दिखाई गई? इसलिए कि उसमें विषधर नाग पले हैं और यह कोरोना राक्षस भी? विश्व के सारे अमेरिका -भारत समर्थित देश एकजुट होकर चीन की दानवता को दफन करें अन्यथा यह विश्व दादा बनने के लिए हर नीचता पूर्ण हथकंडे अपनाता रहेगा। भारत की सरहद से भागे चीन का कहीं यह खूनी खेल तो नहीं ऐसा कुछ बुद्धिजीवी कह रहे हैं?
          मोदी जी कब तक देश लॉकडाउन कर्फ्यू झेलते हुए लाशों को गिनता रहेगा। अब पाशविक खूनी घोड़ा सा चीन की जीन मोदी जी उतार कर इसे विश्व में नंगा करें और कड़े कानून द्वारा देश की बढ़ती आबादी को चंगा करें ।
मोदी जी! कारण का निवारण तो ढूंढना ही होगा।


सलिल कुमार मिश्र

   संपादक

उन्नाव (उ०प्र०)